बिंदु (अनुस्वार) वे शब्द जिनका उच्चारण नाक से होता है, उन्हे अनुस्वार कहते हैं। जैसे = पंख।

चंद्रबिन्दु (अनुनासिक) वे शब्द जिनका उच्चारण नाक और मुँह दोनों से होता है, उन्हे अनुनासिक कहते हैं।


अनुस्वार और अनुनासिका में अंतर -----


१- अनुनासिका स्वर है जबकि अनुस्वार मूलत: व्यंजन .

२- अनुनासिका ( चंद्रबिंदु ) को परिवर्तित नहीं किया जा सकता जबकि अनुस्वार को वर्ण में बदला जा सकता है .

३- अनुनासिका का प्रयोग केवल उन शब्दों में ही किया जा सकता है जिनकी मात्राएँ शिरोरेखा से ऊपर न लगीं हों. जैसे अ , आ , उ ऊ ,

उदाहरण के रूप में --- हँस , चाँद , पूँछ

४ शिरोरेखा से ऊपर लगी मात्राओं वाले शब्दों में अनुनासिका के स्थान पर अनुस्वार अर्थात बिंदु का प्रयोग ही होता है. जैसे ---- गोंद , कोंपल , जबकि अनुस्वार हर तरह की मात्राओं वाले शब्दों पर लगाया जा सकता है.


आज का मुख्य चर्चा का विषय है कि जब अनुस्वार को व्यंजन मानते हैं तो इसे वर्ण में किन नियमों के अंतर्गत परिवर्तित किया जाता है....इसके लिए सबसे पहले हमें सभी व्यंजनों को वर्गानुसार जानना होगा.......


(क वर्ग ) क , ख ,ग ,घ ,ड.

(च वर्ग ) च , छ, ज ,झ , ञ

(ट वर्ग ) ट , ठ , ड ,ढ ण

(त वर्ग) त ,थ ,द , ध ,न

(प वर्ग ) प , फ ,ब , भ म

य , र .ल .व

श , ष , स ,ह


अब आप कोई भी अनुस्वार लगा शब्द देखें.....जैसे ..गंगा , कंबल , झंडा , मंजूषा, धंधा

यहाँ अनुस्वार को वर्ण में बदलने का नियम है कि जिस अक्षर के ऊपर अनुस्वार लगा है उससे अगला अक्षर देखें ....जैसे गंगा ...इसमें अनुस्वार से अगला अक्षर गा है...ये ग वर्ण क वर्ग में आता है इसलिए यहाँ अनुस्वार क वर्ग के पंचमाक्षर अर्थात ड़ में बदला  जायेगा.. ये उदहारण हिंदी टाइपिंग में नहीं आ रहा है...दूसरा शब्द लेते हैं. जैसे कंबल –

यहाँ अनुस्वार के बाद ब अक्षर है जो प वर्ग का है ..ब वर्ग का पंचमाक्षर म है इसलिए ये अनुस्वार म वर्ण में बदला जाता है

कंबल..... कम्बल

झंडा ..---- झण्डा

मंजूषा --- मञ्जूषा

धंधा --- धन्धा

ध्यान देने योग्य बात ----

१ अनुस्वार के बाद यदि य , र .ल .व

श ष , स ,ह वर्ण आते हैं यानि कि ये किसी वर्ग में सम्मिलित नहीं हैं तो अनुस्वार को बिंदु के रूप में ही प्रयोग किया जाता है .. तब उसे किसी वर्ण में नहीं बदला जाता...जैसे संयम ...यहाँ अनुस्वार के बाद य अक्षर है जो किसी वर्ग के अंतर्गत नहीं आता इसलिए यहाँ बिंदु ही लगेगा.


२- जब किसी वर्ग के पंचमाक्षर एक साथ हों तो वहाँ पंचमाक्षर का ही प्रयोग किया जाता है. वहाँ अनुस्वार नहीं लगता . जैसे सम्मान , चम्मच ,उन्नति , जन्म आदि.


४- कभी कभी जल्दबाजी में या लापरवाही के चलते हम अनुस्वार जहाँ आना चाहिए नहीं लगाते ,तब शब्द के अर्थ बदल जाते हैं – उदहारण देखिये –

चिंता -------- चिता

गोंद ----------- गोद

गंदा-------------- गदा ....आदि



अनुस्वार और चंद्रबिंदु में अंतर - Anuswar aur Chandrabindu mein antar - Vartani Shabd in Hindi


(क) पंचमाक्षर यदि अगले व्यंजन के साथ संयुक्त हो, तो अनुस्वार का प्रयोग करें।
        जैसे - अंक, मंजन, मंडन, बिंदु, खंभा आदि ।


(ख) चंद्रबिंदुवाले शब्दों में, चंद्रबिंदु के बदले अनुस्वार का प्रयोग न करें। इससे अर्थ में बहुत अंतर आ जाता है।
        जैसे - हंस-हँस, अंगना-अँगना आदि में बहुत अंतर है।


नोट - सिर्फ शिरोरेखा पर चंद्रबिंदु न देकर उसके बदले बिंदु दें।
        जैसे - चलें, में, मैं, हैं, सिंगार आदि ।


(ग) बहुवचन के इन रूपों -
        लड़कियाँ, साड़ियाँ, तिथियाँ, नीतियाँ, मिठाइयाँ,
        कठिनाइयाँ, भाषाएँ, संज्ञाएँ आदि में चंद्रबिंदु दें, बिंदु नहीं।


(घ) अनुस्वारयुक्त तत्सम शब्दों का तद्भव रूप प्रायः चंद्रबिंदु के साथ आता है। जैसे -


        अंकुर-अँकरा, अंचल-आँचल, अंतर-अंतरा, अंधकार-अँधेरा, अंक-आँक, चंद्र-चाँद, झंप-झाँप, टंकण-टाँकना, दंत-दाँत,
         पंक-पाँक, पंच-पाँच, बंधन-बाँधना, बिंदु-बूंद, भृगराज-भैंगरैया, मंजन-माँजना, रंग-रँगा, यंत्र-जाँत आदि ।