चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है 


जब तुम मुझे अपना कहते हो अपने पे ग़ुरूर आ जाता है 


तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं 


महफ़िल में तुम्हारे आने से हर चीज़ पे नूर आ जाता है 


हम पास से तुम को क्या देखें तुम जब भी मुक़ाबिल होते हो 


बेताब निगाहों के आगे पर्दा सा ज़रूर आ जाता है 


जब तुम से मोहब्बत की हम ने तब जा के कहीं ये राज़ खुला 


मरने का सलीक़ा आते ही जीने का शुऊ'र आ जाता है ।


साहिर लुधियानवी